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उत्तर प्रदेश की बिजली का हाल किसी से छिपा नहीं है। गड़बड़ाई बिजली व्यवस्था के सुधार के लिए जहां एक ओर बिजली चोरी रोकने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। वहीं प्रदेश सरकार ने प्रदेश की बिजली व्यवस्था को प्राईवेट कंपनियों की सुपुर्दगी में दिए जाने का फैसला लिया है। इस निजीकरण की शुरूआत गोरखपुर, वाराणसी, मेरठ और मुरादाबाद से की जाएगी। अन्य जिलों में भी निजीकरण किए जाने की प्रबल संभावना है। निजीकरण के खिलाफ बिजली निगमों के संगठन आंदोलित हो रहे हैं। आंदोलनकारियों द्वारा तोड़फोड़ किए जाने की भी संभावना है। जिससे निपटने को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड की देख रेख में प्रदेश मुख्यालय स्तर पर, प्रत्येक डिस्कॉम स्तर पर तथा क्षेत्रीय स्तर पर कंट्रोल रूम की स्थापना के साथ-साथ प्रत्येक जनपदवार मुख्यालय पर जिला मजिस्ट्रेट के पर्यवेक्षण में एक कंट्रोल रूम की स्थापना की जानी है। हालांकि सम्भल में निजीकरण किए जाने का अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन आंदोलन पूरे प्रदेश भर के जिलों में होने की संभावना है। इसको लेकर सम्भल में 27 मार्च से अपर जिलाधिकारी कार्यालय पर कंट्रोल रूम की शुरुआत की जाएगी।