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धनंजय/पीटीआई नई दिल्ली: बीजेपी ने पार्टी की यूपी इकाई द्वारा रिलीज की गई सीडी पर रोक लगाने का फैसला किया है। इसमें बाबरी और गोधरा से जुड़ी सामग्री के कारण पार्टी को इस पर खासी आलोचना का शिकार होना पड़ा था। हालांकि, पार्टी ने इस 'जहरीली सीडी' से जिस तरह अपना हाथ खींचा है, उससे इस मामले में पार्टी का भोलापन कम, शातिर अंदाज अधिक जाहिर हुआ है। देखने में पार्टी पूरी तरह डिफेंसिव लग रही है, लेकिन इस विवाद को हैंडल करने के पार्टी के तरीके से साफ है कि इस सीडी के पीछे पार्टी का खासा 'होमवर्क' है। प्रेक्षकों का मानना है कि सीडी के मामले में जो कुछ भी हुआ है, वह सोची समझी रणनीति के तहत है। पार्टी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी व प्रवक्ता राजीव प्रताप रूढ़ी ने पार्टी मुख्यालय में सीडी विवाद से पार्टी का पल्ला झाड़ने में बार-बार अपने बयान बदले। पहले रूढ़ी ने कहा कि मामले की इनक्वायरी यानी जरूरी कार्रवाई की जाएगी। फिर जांच से इनकार करते हुए इस पर अड़ गए कि इनक्वायरी से उनका मतलब जांच नहीं जानकारी लेने से था। उन्होंने कहा कि जब पार्टी ने इस सीडी को अप्रूव ही नहीं किया, तो फिर जांच का सवाल ही नहीं पैदा होता। लालजी टंडन ने अनजाने में सीडी को रिलीज कर दिया। किसी के खिलाफ, खासकर इस सीडी को रिलीज करने वाले लालजी टंडन के खिलाफ, कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता। फिर मुख्तार नकवी कहने लगे कि अति उत्साह में पार्टी के क्लियरेंस के बगैर ही सीडी जारी हो गई, हम उसे वापस ले रहे हैं। इसी बीच यह जानकारी आ गई कि पार्टी की यूपी इकाई ने इसमें वहां के एक पार्टी पदाधिकारी को पद से हटा दिया है। इम्प्रेशन यह था मानों पार्टी मुसलमानों को लेकर की गई आपत्तिजनक कमेंट्स वाली सीडी के इस मामले में पूरी तरह फंस चुकी है और उससे निकलने की कोशिश में बुरी तरह फंसती जा रही है। लेकिन पार्टी के कुछ सूत्रों की मानें तो पार्टी ने चुनाव आयोग को ध्यान में रखते हुए एहतियात के तौर पर सीडी से अपना पल्ला झाड़ा है। यूपी में इस सीडी को मीडिया को जारी करने के साथ-साथ इसका भारी संख्या में वितरण भी किया गया है। पार्टी के लिए वहां हिंदुत्व की भावना को हवा देना जरूरी माना जा रहा है।