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: प्रदीप्त तापदार : कोलकाता, 31 मार्च (भाषा) पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 23 सीटों को जीतने का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का महत्वाकांक्षी लक्ष्य एक मुश्किल कार्य में बदलता दिख रहा है जहां टिकट के बंटवारे को लेकर असंतोष के स्वर उठ रहे हैं। यह असंतोष जमीनी नेताओं एवं अनुभवी राजनीतिकों को नजरअंदाज कर दलबदलू नेताओं एवं नौसिखियों को टिकट दिए जाने को लेकर हैं। भाजपा ने राज्य की 42 में से 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं जिनमें 10 दलबदलू नेता शामिल हैं। ये नेता कांग्रेस, माकपा एवं तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए हैं। साथ ही पार्टी ने करीब 20 नौसिखियों को भी अपना उम्मीदवार बनाया है। इस मुद्दे को लेकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध हो रहा है। इसके चलते कई नेताओं ने या तो इस्तीफा दे दिया है या प्रचार अभियान के दौरान सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने माना कि टिकट के बंटवारे को लेकर असहमति है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी का निर्णय मानना चाहिए। घोष ने कहा, “हां, पार्टी के भीतर कुछ असहमतियां हैं लेकिन हम सभी को पार्टी का निर्णय मानना चाहिए। किसी को टिकट की लालसा हो सकती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि अगर आपको टिकट नहीं मिला तो आप विरोध करने लगेंगे।” भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने के अनुरोध पर कहा कि ये असहमतियां चुनाव में पार्टी के लिए समस्या साबित हो सकती हैं। वरिष्ठ नेता ने कहा, “पार्टी को एक बात समझनी होगी कि हमारे पास जमीनी स्तर पर तृणमूल कांग्रेस जैसा मजबूत संगठन नहीं है। सीटें जीतने के लिए हमें उन कैडर एवं नेताओं पर निर्भर रहना होगा जिन्हें हमने इतने सालों तक तैयार किया है। हमें ध्यान रखना होगा कि अब अगर वे उम्मीदवारों के चयन से खुश नहीं हैं तो क्या वे चुनावों के दौरान प्रचार करेंगे ?”