जागरणसंवाददाता,मऊ:चलनीकेछिद्रोंसेछनकरआतीशीतलचारुचंद्रकीचंचलचमकीलीकिरणें,सामनेजन्म-जन्मतकसाथनिभानेकासंकल्पलेनेवालाप्राणप्रियभर्ता,अर्थातएकचांदगगनमेंदूजापास।आस्था,श्रद्धा,प्रेमवसमर्पणकाअपूर्ववातावरण।भारतीयनारीकीत्याग,तपस्याऔरपतिपरमेश्वरकीपरिकल्पनाविश्वकीअन्यसंस्कृतियोंसेउसेअलगखड़ाकरतीहै।पतिकीदीर्घायु,अखंडसौभाग्यकीकामनालेकरसुहागिनोंनेबुधवारकोचंद्रोदयव्यापिनीकार्तिककृष्णपक्षचतुर्थीकोकरवाचौथकाव्रतरखा।रातमेंचंद्रोदयकेबादचलनीसेदर्शनकरपतिपरमेश्वरकाविधिवतपूजन-अर्चनकियाऔरउनकाआशीर्वादलेनेकेबादव्रतकापारणकिया।सुबहसेहीपर्वकाउत्साहप्राय:हरघरमेंदेखनेकोमिला।
प्रात:कालसेहीनिराजलव्रतरखसौभाग्यवतीनारियोंनेहाथोंमेंमेहंदीरचाई,सोलहश्रृंगारकिएऔरपूरीतरहदुल्हनकीतरहसज-धजकरव्रतकेनियमोंकापालनकिया।नवविवाहिताओंमेंव्रतकोलेकरखासहीआकर्षणरहा।सायंकालसबनेरसोईमेंविविधपकवानऔरव्यंजनबनाए,इसकेबादअपनेघरोंकीछतयामुंडेरपरपूजनकीव्यवस्थाबनाई।चौकपूरनेकेबादलकड़ीकेआसनपरपीलीमिट्टीसेमांगौरीकीप्रतिमाबनाकरउनकीगोदमेंभगवानगणेशकोस्थापितकियाऔरउसीआसनपरविराजितकिया।मिट्टीकेकरवेपर13बिदीरखकरहाथोंमें13गेहूंयाचावलकेदानेलेकरकरवाचौथव्रतकीकथासुनी।कथासंपन्नहोनेपरहाथकरवेपरघुमाकरउसेसमर्पितकिया।इसकेबादचलनीसेचंद्रोदयकोदेखकरपतिपरमेश्वरकेदर्शनकिएऔरसविधिउनकापूजन-अर्चनकिया।पात्रमेंरखेजलसेचंद्रदेवकोअर्घ्यदियाऔरघरमेंमौजूदबड़े-बुजुर्गोंकेपांवछूकरआशीर्वादलिए।शहरकेभीतरीमुहल्लोंमेंव्रतकोलेकरकाफीचहल-पहलरही।मुहल्लेकीमहिलाओंनेकहीं-कहींएकत्रहोकरसामूहिकरूपदर्शन-पूजनकिया।नवविवाहितामहिलाओंमेंव्रत-पर्वकोलेकरखासाउत्साहरहा।पहलीबारव्रतरखनेवालीसुहागिनोंनेअपनेबड़ोंकेनिर्देशनमेंपूजनकार्यसंपन्नकिया।इसमौकेपररातमेंलगभगसभीछतोंपरदीपदमकतेनजरआए।