डश टव क नंबर चहए
शाहजहापुर : अपना इंस्टीट्यूट। छात्रों को कंप्यूटर ट्रेनिंग की व्यस्तता। हर बैच से हजारों रुपये की आमदनी। यह सब छोड़कर काजी आमिर रोजाना निकल पड़ते हैं गांव के लोगों को डिजिटल साक्षर बनाने। वह भी निश्शुल्क। चौपाल के चबूतरे पर क्लास रूम लगाते हैं। शहजबानपुर, कांट, मऊ, हथौड़ा, मोहम्मदी, निगोही, जैतीपुर.। 18 साल में गांव दर गांव बदलते रहे। नहीं बदला तो मकसद, हौसला और शिद्दत। इसी का नतीजा है कि, गांव वाले योजना की जानकारी ऑनलाइन देखते हैं तो बैंक तक दौड़ने के बजाय डिजिटल भुगतान करते हैं।