बएसएनएल नई सम कर्ड
आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि जीवाश्म साक्ष्य देखना रोमांचकारी है। इससे पता चलता है कि भारत अतीत में जैविक विकास और जैव विविधता का उद्गम स्थल रहा है। कहा कि आइआइटी रुड़की का पृथ्वी विज्ञान विभाग इस विकास की हमारी समझ को बेहतर बनाने में योगदान दे रहा है। इस वर्ष भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून में आयोजित कैंपा-डुगोंग कार्यक्रम में समुद्री गायों की ऐतिहासिक विरासत को उजागर करने वाला एक पोस्टर भी जारी किया जा चुका है।